आम, केला, लीची, सेब की सेल नहीं होने से सरकार पर कितना प्रेशर ?

By :  Newshand
Update: 2025-06-03 14:06 GMT

अच्छी लगे या बुरी लगे

आम, केला, लीची, सेब की सेल नहीं होने से सरकार पर कितना प्रेशर ?

छोले-कुलचे, चोले-भटूरे, चाय-पान की दुकान बंद होने से कौन होगा प्रभावित

पटोदी जिला की मांग को लेकर आज पटौदी बंद के लिए मांगा समर्थन

ऑनलाइन ऑर्डर और सप्लाई के साथ वेयरहाउस में होता रहेगा कामकाज

औद्योगिक प्रतिष्ठान और उद्योग बंद होने का अलग ही होता सरकार पर असर

न्यूज हैंड ब्यूरो/फतह सिंह उजाला

मानेसर / पटौदी /जाटोली। अपने अधिकार मांगने और अपनी मांग पूरी करवाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने का मौलिक और संवैधानिक अधिकार संविधान में उपलब्ध करवाया गया है । इसमें धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, इत्यादि भी शामिल है । अक्सर सरकार पर दबाव बनाने के लिए बाजार बंद भी किए जाते हैं, स्टेट और नेशनल हाईवे भी जाम किए जाते हैं । इस प्रकार के दबाव का प्रभावख और असर सरकार पर कितना पड़ता है ! यह सरकार को होने वाले राजस्व पर अधिक निर्भर रहता है ?




 

पटौदी को जिला बनाने का मुद्दा गर्म होकर और जनप्रतिनिधियों के रुख को देखते हुए लोगों सहित समर्थकों में रोष अधिक महसूस किया जा रहा है। 4 जून बुधवार को सर्व समाज और जिला निर्माण कमेटी के द्वारा बंद का आह्वान करते हुए समर्थन मांगा जा रहा है। यहां खरी और साफ बात यह है, अच्छी लगे या बुरी । लेकिन चिंतन और मंथन करना भी बहुत जरूरी है । दैनिक कामकाजी, छोटे-छोटे दुकानदार जो केला, अमरूद, आम, चीकू, लीची , जैसे फल इत्यादि बेचने का काम कर रहे हैं । कोई चाय पान का खोखा या दुकान चल रहा है। कोई मौसमी का और गाने का जूस अथवा रस की बिक्री कर रहा है । कोई सुबह-सुबह छोले कुलचे और छोले भटूरे इत्यादि की रेहडी लगाकर परिवार का पेट भरने की कसरत करता है। गर्मी का समय है, ऐसे में आइसक्रीम कुल्फी या फिर बर्फ की चुस्की बेचने वाले भी फेरी लगाते रहते हैं। टायर पंचर बनाने अथवा लगाने वाले, कटिंग सैलून चलने वाले जैसे दुकानदार भी शामिल हैं । ऐसे छोटे-छोटे दुकानदारों के पास पहुंचकर बुधवार को बंद का समर्थन मांगते हुए समझाया जा रहा है। माल मत लेकर आना, अर्थात फल साग सब्जी इत्यादि खराब हो जाएगी । सुलगता सवाल यही है कि इस प्रकार की छोटी-छोटी दुकानों के बंद करने से सरकार पर कितना प्रभाव पड़ेगा ? और सरकार को कितना अधिक राजस्व का नुकसान झेलना पड़ेगा ?




 

दूसरी तरफ देखा जाए तो क्षेत्र में अनेक वेयरहाउस है । जहां से ऑनलाइन ऑर्डर पर ऑनलाइन विभिन्न प्रकार का माल सप्लाई होने का काम बिना रोक-टोक चल रहा है । बिनोला में अनेक औद्योगिक प्रतिष्ठान और उद्योग में अनगिनत व्यक्ति काम कर रहे हैं । पटौदी के ही महत्वपूर्ण हिस्से मानेसर नगर निगम या फिर मानेसर औद्योगिक क्षेत्र यहां पर भी अनेक उद्योग और औद्योगिक प्रतिष्ठान में अनगिनत व्यक्ति काम कर रहे हैं । इस प्रकार के प्रतिष्ठान उद्योग और औद्योगिक संस्थान से बंद के लिए समर्थन मांगा जाता और औद्योगिक संगठन के द्वारा समर्थन दिया जाता ? तो निश्चित रूप से सरकार के ऊपर कहीं ना कहीं दबाव के साथ-साथ राजस्व के नुकसान का भी असर होने से इनकार नहीं किया जा सकता । छोटे-छोटे रोजमर्रा की दुकानदार जो की जरूरत का सामान प्रतिदिन खरीद कर लाते और बिक्री करते हैं । उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक समर्थन के पक्ष में खुलकर नहीं आ रही है । इस प्रकार के छोटे-छोटे दुकानदारों में कहीं ना कहीं अनदेखा डर महसूस किया जा सकता है । फिलहाल पटौदी को जिला बनाए जाने की मांग और आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित समर्थन नहीं मिलने से आहत बंद की मुहिम का नेतृत्व करने वालों के द्वारा बंद का आह्वान दुकान दुकान पहुंचकर करने का सिलसिला बना हुआ है।

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