जीरकपुर में हो रही हैं तैयार गणपति महोत्सव के लिए करीब ढाई हजार इको-फ्रेंडली मूर्तियां

जीरकपुर में शुक्रवार को आर्टिस्ट फूलचंद ने मूर्ति मेकिंग के बारे में बताया
रोहित गुप्ता
जीरकपुर 16,अगस्त
जैसे-जैसे गणेश महोत्सव का त्यौहार नजदीक आते जा रहा है मूर्तियां बनाने वाले शिल्पकारों ने भी अपने काम की गति को रफ्तार दे दी है। जीरकपुर में मूर्तियां बनाने वाले शिल्पकार फूलचंद के अनुसार इस बार उनके कारीगरों द्वारा ढाई हजार से ज्यादा श्री गणपति जी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि यह मूर्तियां भिन्न-भिन्न प्रकार की बनाई गई हैं जिसमें गणपति जी कहीं तो मुसे की सवारी कर रहे हैं कहीं रथ पर बैठे हुए हैं और कहीं लाल बाग के राजा के रूप में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह मूर्तियां एक फीट से लेकर 12 फीट तक बनाई जाती है और इसके अलावा अगर किसी ने बड़ी मूर्ति बनवानी हो तो वह स्पेशल ऑर्डर पर बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि मूर्तियों की बुकिंग अभी से ही शुरू हो गई है जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल गणेश महोत्सव पर पिछले साल की अपेक्षा भक्तों में ज्यादा उत्साह नजर आ रहा है। हमारी तरफ से भी इस बार पिछले साल से ज्यादा मूर्तियां बनाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि हमारी मूर्तियों की मांग भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों के अलावा विदेश में भी है। उन्होंने बताया कि एक सज्जन हर साल गणपति जी की मूर्ति यहां से विदेश लेकर जाते हैं।आर्टिस्ट फूलचंद जीरकपुर में अपनी टीम के साथ इको-फ्रेंडली मूर्तियों को तैयार करने में जुटे हैं। आठ लोगों की टीम हैं जो गीली मिट्टी को मोलडिंग कर मूर्ति में बदल रहे हैं। शुक्रवार को फूलचंद ने मूर्ति मेकिंग का डैमो दिया। इस दौरान उन्होंने बताया- हरिद्वार से लाई मिट्टी से ये मूर्ति तैयार की गई है। यह शुद्ध भूरे रंग की मिट्टी है, जिसका लकड़ी जैसा रंग है। इस मिट्टी में नारियल का जूट मिलाते हैं और फिर मूर्ति तैयार की जाती है। इससे मूर्ति थोड़ा सख्त हो जाती है और टूटती नहीं। ये मूर्ति सिर्फ पानी में डालने पर ही घुलती है। इन्हें बनाने का प्रोसेस साल पहले शुरू हो जाता है। पहले गणपति के विभिन्न मॉडल्स बनाने शुरू करते हैं। फ्रेम के साथ डाई बनाते हैं और फिर मिट्टी से मूर्तियां। मूर्ति बनाकर उन्हें सुखाते हैं। साथ ही हल्का बेस पेंट करके छोड़ देते हैं। फिर जैसे त्योहार पास आता है तो लोगों की पसंद।