भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर झूठ न बोलें, उनके भाषण में नफ़रती इशारे न हों तो उनका भाषण पूरा नहीं होता।

प्रधानमंत्री हैं जिनके हर भाषण के बाद देखा जाता है कि उसमें कितना झूठ है और उसमें कितनी नफ़रत है। मुसलमान उनके भाषण में न आए तो लगता ही नहीं कि उनका भाषण है।

भारत के प्रधानमंत्री अगर झूठ न बोलें, उनके भाषण में नफ़रती इशारे न हों तो उनका भाषण पूरा नहीं होता। आम तौर पर प्रधानमंत्रियों के भाषण की आलोचना होती है, लेकिन मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिनके हर भाषण के बाद देखा जाता है कि उसमें कितना झूठ है और उसमें कितनी नफ़रत है। मुसलमान उनके भाषण में न आए तो लगता ही नहीं कि उनका भाषण है। वे खुद ही साबित कर रहे हैं कि उनकी राजनीति की बुनियाद ही इस नफ़रत पर खड़ी है। उसी के सहारे चुनाव जीतते रहे हैं।


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