जवानी की दौड़: क्या सौंदर्य की चाहत जानलेवा हो सकती है?

जवानी की दौड़: क्या सौंदर्य की चाहत जानलेवा हो सकती है?

जवानी का वादा या स्वास्थ्य से खिलवाड़? एंटी-एजिंग पर सवाल

जवानी की चाहत और सौंदर्य का जुनून (Desire for youth and obsession with beauty)आज समाज में एक ऐसी लहर बन चुका है, जो लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। चिकनी त्वचा, बेदाग चेहरा, और उम्र को ठेंगा दिखाने का सपना—यह वह आकर्षण है, जो लाखों लोगों को एंटी-एजिंग उपचारों की ओर खींच रहा है। बोटॉक्स, डर्मल फिलर्स, ग्लूटाथियोन इंजेक्शन—ये नाम आज आम हो चुके हैं। ये उपचार चंद मिनटों में यौवन का वादा करते हैं, लेकिन क्या इनके पीछे छिपे खतरे उतने ही चमकदार हैं? हाल ही में 42 वर्षीय अभिनेत्री शेफाली जरीवाला (Actress Shefali Jariwala)की अचानक मृत्यु ने इस सवाल को हर किसी के सामने ला खड़ा किया। उनकी मौत ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सौंदर्य की कीमत जान से चुकानी पड़ सकती है?

शेफाली की मौत का कारण बना एक एंटी-एजिंग इंजेक्शन, जिसने उनकी सांसों की डोर छीन ली। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इंजेक्शन लेने के तुरंत बाद उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक रूप से गिर गया। वह बेहोश हो गईं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी जिंदगी खत्म हो चुकी थी। जांच में उनके घर से ग्लूटाथियोन और विटामिन-सी जैसे इंजेक्शनों की शीशियां मिलीं, जिनका वह लंबे समय से इस्तेमाल कर रही थीं। यह घटना एक दुखद हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—जवानी की दौड़ में बिना सोचे-समझे कदम उठाना कितना घातक हो सकता है।

उम्र बढ़ना प्रकृति का अटल नियम है। जैसे-जैसे साल गुजरते हैं, त्वचा पर झुर्रियां, महीन रेखाएं, और ढीलापन नजर आने लगता है। लेकिन समाज में सौंदर्य और जवानी के प्रति बढ़ता जुनून लोगों को इस प्राकृतिक प्रक्रिया को रोकने के लिए बेताब कर रहा है। सोशल मीडिया पर चमकते चेहरों और सेलिब्रिटीज़ की तस्वीरों ने जवानी को एक सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बना दिया है। नतीजा? लोग बोटॉक्स, डर्मल फिलर्स, और ग्लूटाथियोन जैसे उपचारों की ओर भाग रहे हैं। बोटॉक्स एक शक्तिशाली इंजेक्शन है, जो चेहरे की मांसपेशियों को रिलैक्स करके झुर्रियों को कम करता है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने इसे कॉस्मेटिक उपयोग के लिए दो दशक पहले मंजूरी दी थी। डर्मल फिलर्स त्वचा में कोलेजन की कमी को पूरा करते हैं, जिससे चेहरा भरा-भरा और युवा दिखता है। ग्लूटाथियोन, एक एंटीऑक्सीडेंट, त्वचा को गोरा करने और कोशिकाओं को नुकसान से बचाने का दावा करता है। ये उपचार सुनने में जादुई लगते हैं, लेकिन इनके पीछे छिपे जोखिमों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

शेफाली की मृत्यु ने इन उपचारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्लूटाथियोन जैसे इंजेक्शन, जो पूरी तरह से एफडीए-अनुमोदित नहीं हैं, कई बार गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बनते हैं। इनमें एनाफाइलेक्सिस (गंभीर एलर्जी रिएक्शन), स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम, या त्वचा से जुड़ी गंभीर बीमारियां शामिल हैं। अगर ये इंजेक्शन गैर-प्रशिक्षित व्यक्तियों या अनधिकृत केंद्रों में दिए जाएं, तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है। अप्रैल 2024 में यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक चेतावनी जारी की थी, जिसमें 25 से 59 वर्ष की 22 महिलाओं में बोटॉक्स के गंभीर दुष्प्रभाव देखे गए। इनमें से 11 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, क्योंकि बोटॉक्स के टॉक्सिन्स उनके नर्वस सिस्टम तक फैल गए थे। यह स्थिति इतनी गंभीर थी कि मृत्यु तक हो सकती थी। जांच में सामने आया कि ये सभी इंजेक्शन गैर-प्रशिक्षित व्यक्तियों या गैर-चिकित्सकीय केंद्रों में लिए गए थे। यह साफ करता है कि गलत हाथों में ये उपचार जिंदगी के लिए खतरा बन सकते हैं।

ग्लूटाथियोन, जो त्वचा को गोरा करने और जवानी बनाए रखने के लिए लोकप्रिय है, भी जोखिमों से मुक्त नहीं। एक सीनियर डर्मटोलॉजिस्ट के अनुसार, ग्लूटाथियोन का असर तभी तक रहता है, जब तक इसे लिया जाता है। लेकिन इसकी उच्च खुराक या गलत इस्तेमाल लिवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। खाली पेट दवाएं लेने से ब्लड प्रेशर में अचानक कमी आ सकती है, जैसा कि शेफाली की मृत्यु के मामले में संदेह जताया गया है। गलत डोज से एलर्जी रिएक्शन, त्वचा की बीमारियां, या ब्लड प्रेशर में खतरनाक उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन दवाओं से सीधे हार्ट अटैक का खतरा भले न हो, लेकिन परोक्ष रूप से ये अंगों पर दबाव डालकर स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

सौंदर्य के प्रति समाज का जुनून इस समस्या को और बढ़ा रहा है। सोशल मीडिया और सेलिब्रिटी संस्कृति ने जवानी को एक अनिवार्य सामाजिक मानक बना दिया है। हर कोई उम्र के निशानों को मिटाने की होड़ में शामिल है, लेकिन इस दौड़ में हम यह भूल जाते हैं कि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है। एक व्यक्ति के लिए सुरक्षित दवा दूसरे के लिए जहर बन सकती है। विशेषज्ञ जोर देते हैं कि एंटी-एजिंग उपचार से पहले मरीज का पूरा मेडिकल इतिहास जांचना अनिवार्य है। अगर किसी को पहले से हृदय रोग, लिवर, या किडनी की समस्या है, तो इन दवाओं का प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है। कार्डियोलॉजिस्ट और डर्मटोलॉजिस्ट से परामर्श के बिना ये उपचार लेना आत्मघाती साबित हो सकता है।

यह दुखद घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम जवानी की चाहत में अपनी सेहत को दांव पर लगा रहे हैं? एंटी-एजिंग उपचार निश्चित रूप से त्वचा में निखार और आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं, लेकिन इनका गलत इस्तेमाल या बिना विशेषज्ञ की सलाह के उपयोग जानलेवा हो सकता है। गैर-प्रमाणित पार्लरों या अनजान व्यक्तियों से उपचार लेना जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। असली सुंदरता स्वस्थ शरीर और आत्मविश्वास में बसती है, न कि इंजेक्शनों की सुई में। शेफाली की मृत्यु एक कठोर सबक है। यह हमें याद दिलाती है कि सौंदर्य की कीमत अनमोल हो सकती है, लेकिन जिंदगी से ज्यादा अनमोल कुछ नहीं। जवानी की दौड़ में भागने से पहले रुकें, सोचें, और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। एंटी-एजिंग उपचार अनिवार्य ही है तो केवल प्रशिक्षित डर्मटोलॉजिस्ट्स पर भरोसा करें और गैर-प्रमाणित केंद्रों से दूर रहें। सुंदरता का असली मंत्र स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, और आत्मविश्वास में छिपा है। इस दुखद हादसे से सबक लें और यह समझें कि सौंदर्य की चाहत में जिंदगी को जोखिम में डालना किसी भी कीमत पर समझदारी नहीं है।

प्रो. आरके जैन “अरिजीत

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