Dalit girl period-पीरियड्स के चलते नाबालिग दलित छात्रा को परीक्षा के लिए कक्षा से बाहर बैठाया गया

शर्म आनी चाहिए हिंदुओं को ===

पीरियड्स के चलते नाबालिग दलित छात्रा को परीक्षा के लिए कक्षा से बाहर बैठाया गया

नई दिल्ली: एजेंसी/अटल हिन्द

शर्म आनी चाहिए ऐसे मास्टरों को ,शर्म आनी चाहिए ऐसे स्कूल संचालकों को ,शर्म आनी चाहिए हिन्दुओं को ,शर्म आनी चाहिए सरकारों को ,जो एक लड़की का मजाक इसलिए बना देते है उसे पीरियड आये हुए थे वह लड़की हिन्दू थी लेकिन दलित थी क्या हिन्दू धर्म या स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को पीरियड(Student having menstruation) भी धर्म या जाती के हिसाब से आने चाहिए।

भारत में अमृतकाल चल रहा है ऐसा कहा और सुना जा रहा है लेकिन ऐसे अमृतकाल से तो जहरीला काल ही अच्छा था जिस अमृतकाल में पीरियड आने पर एक दलित लड़की को बेईज्जत किया जा रहा हो सोचने वाली बात यह है की क्या स्कूल संचालकों ,मास्टरों ,कथित हिन्दुओं और राजनेताओं की माँ बहनों को पीरियड नहीं आते क्या उन्हें भी इस दलित लड़की की तरह बेईज्जत किया जा रहा है या किया जाएगा अगर नहीं तो फिर इस स्कूली छात्रा के साथ भेदभाव क्यों क्यों इस दलित लड़की को पेपर के समय क्लास से बाहर निकाल बरामदे में पेपर देने को मजबूर किया गया क्या स्कूल की अन्य किसी छात्रा को पीरियड (periods)नहीं आते ?

जी हाँ तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक 14 वर्षीय दलित छात्रा (Minor Dalit girl)को मासिक धर्म यानी पीरियड्स के चलते कक्षा से बाहर निकाल दिया गया. इसके बाद मजबूरन पीड़ित छात्रा को कक्षा के दरवाजे के पास बैठकर परीक्षा देनी पड़ी.लड़की को 5 अप्रैल को पीरियड शुरू हुए थे और इसी दौरान उसके स्कूल में परीक्षाएं भी चल रही थीं. स्कूल प्रबंधन ने कथित तौर पर उसे 7 अप्रैल को विज्ञान की परीक्षा और बुधवार (9 अप्रैल) को सामाजिक विज्ञान की परीक्षा कक्षा के बाहर बैठकर देने को कहा.ये मामला तब सामने आया, जब छात्रा की मां ने कक्षा से बाहर बैठी अपनी बेटी का वीडियो बनाया और शिक्षा अधिकारियों से संपर्क किया. मां ने अपनी बेटी के खिलाफ इस तरह के भेदभाव का विरोध किया है.

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