बावल में कांग्रेस पार्टी यदि अपने वफादार एवम समर्पित कार्यकर्ता पर लगाए दाव, तो 28 सालों की हार को बदल सकती है जीत में*

बावल में कांग्रेस पार्टी यदि अपने वफादार एवम समर्पित कार्यकर्ता पर लगाए दाव, तो 28 सालों की हार को बदल सकती है जीत में**न्यूज हैंड ब्यूरो /मनोज गोयल**रेवाड़ी, 17 जून*बावल में कांग्रेस पार्टी को पिछले 28 साल से हार का मुँह देखना पड़ रहा है। जब से हरियाणा बना है, 1967 से लेकर 2019 तक कांग्रेस पार्टी को केवल तीन बार विधानसभा के चुनावो में जीत मिली है।1972 में रामप्रसाद,1982 ओर 1991 में शकुंतला भगवाडिया जबकि 1967 में कन्हैया लाल आजाद उमीदवार,1968 में जी सुखलाल हरियाणा विशाल पार्टी, 1977 शकुंतला भगवाडिया जनता पार्टी,1987 मुनीलाल लोकदल,1996 में जसवंत सिंह हरियाणा विकास पार्टी, 2000 में डॉ एमएल रंगा इनलो, 2005 शकुंतला भगवाडिया निर्दलीय, 2009 में रामेश्वर दयाल इनलो तथा 2014 और 2019 से लगातार दूसरी बार भाजपा से डॉ बनवारी लाल बने है।

अब तक लड़े गए चुनावो में एक दो चुनावो को छोड़ दें तो रामपुरा हाउस की बावल विधानसभा के उम्मीदवारो को जितवाने व हरवाने में अहम भूमिका रही है। लेकिन इस बार रोहतक के सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा की बावल विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को टिकट दिलवाने व जितवाने में विशेष भूमिका रहेगी।2024 के विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही माह का समय शेष है। चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने अभी से अपनी अपनी गोटियां बिठानी शरू कर दी है। लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की 10 लोकसभा सीटो में से 5 सीट जितने के बाद कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

अगर बात करे कांग्रेस पार्टी के दावेदारों की तो हम पायेंगे लंबी फेहरिस्त। उनमें ओमप्रकाश डाबला, अमृतकला टिकनिया, डॉ एमएल रंगा, जसवंत बावल, नीलम भगवाडिया, रमेश ठेकेदार, साधू सिंह, रेखा दहिया, जवाहर लाल, डॉ राजबीर, पूर्ण सिंह सरपंच, सुनीता रंगा, कमलेश डाबला, चेतराम रेवड़ियां, वेद बावलिया के नाम प्रमुख हैं। इनमे से कई तो नए चेहरे है या कई कई बार दल बदल कर कांग्रेस में आए है। देखना है कि पार्टी किस पैमाने पर टिकट देती। अबकी बार कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता नजर आ रहा है। यदि इस बार कांग्रेस पार्टी ने अपने वफ़ादार एवम समर्पित कार्यकर्ता को बावल से उम्मीदवार बनाया तो निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी को सफलता मिल सकती है।

अब देखना होगा किस पर दांव खेलती है। यदि दाव सही पड़ा तो कांग्रेस की फतह निश्चित है। वही भाजपा में अबकी बार भी डॉ बनवारी का कोई विकल्प नजर नही आ रहा। अभी कुछ समय के लिए जसवंत बावल ने राव इंद्रजीत सिंह का आशीर्वाद जरूर लेने का प्रयास किया था, किंतु लोकसभा चुनावों से ठीक तीन चार दिन पहले उन्होंने पुनः दीपेंद्र हुड्डा में अपनी आस्था जता दी। बात करे इनलो, जेजेपी, आम आदमी पार्टी की तो कोई उम्मीदवार टिकट लेने को दूर दूर तक नजर नही आ रहा।

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