अंत में मिली अस्थियां

25 दिन की तलाश, 3 राज्यों में भटकते रहे परिजन, अंत में मिली अस्थियां

कांवड़ से लौटकर आने की थी उम्मीद, राख बनकर लौटा घर का लाल

दौरे के बाद नहर में समा गया था जोगेंद्र, परिवार को सिर्फ राख सौंप सका जमाना

तरावड़ी, 10 अगस्त (न्यूज हैंड ब्यूरो)।

गांव रमाणा-रमाणी निवासी 26 वर्षीय जोगेंद्र सिंह का कांवड़ यात्रा के दौरान नहर में गिरने से दर्दनाक अंत हो गया। दिमागी तौर से परेशान जोगेंद्र 16 जुलाई को अपने भाई बलविंद्र सिंह के साथ कांवड़ लेकर वापिस आ रहा था। उसकी दिन सुबह करीब 11 बजे रूढ़की के आसपास कांवड़ियों की जुटी भीड़ में बिछड़ने के बाद उसे दौरा पड़ा और वह नहर में गिर गया। पुलिस व स्थानीय लोगों ने तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उत्तराखंड पुलिस ने शव को बरामद कर तीन दिन मर्चरी हाउस में रखा, मगर पहचान न होने पर एक सामाजिक संस्था ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस बीच जोगेंद्र के परिवार को उसकी तलाश में 25 दिन तक भटकना पड़ा। हाल ही में जानकारी मिलने पर वे उत्तराखंड पहुंचे, जहां उन्हें राख और अस्थियां सौंपी गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण डूबना बताया गया है। मृतक के भाई बलविंद्र सिंह ने बताया कि वे दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पालन करते हैं। कांवड़ यात्रा में हर साल शामिल होते थे, लेकिन इस बार यह यात्रा हमेशा के लिए जुदाई बन गई।




बाक्स

काबिलेगौर है कि जोगेंद्र सिंह का परिवार बेहद गरीब है। पिता का पहले ही देहांत हो चुका है और मां बीमार रहती हैं। जोगेंद्र को कुछ समय से मानसिक स्वास्थ्य की समस्या थी, मगर वह धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था। 15 जुलाई को भाई के साथ कांवड़ लेने गया, मगर हरिद्वार से लौटते वक्त भीड़ में बिछड़ गया। परिवार ने उत्तराखंड, हरियाणा और यूपी के कई थानों के चक्कर लगाए। सोशल मीडिया पर फोटो शेयर की, मगर कोई सुराग नहीं मिला। 25 दिन बाद पता चला कि उत्तराखंड में बरामद एक अज्ञात शव उन्हीं का था। भाई बलविंद्र ने कहा, "काश, हमें समय पर सूचना मिल जाती तो अंतिम दर्शन हो जाते। गांव रमाणा-रमाणी में घटना के बाद शोक का माहौल है और लोग कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा और पहचान व्यवस्था को और मजबूत करने की मांग कर रहे हैं।

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