हरियाणा पुलिस को हल्के में मत लेना निर्दोष को दोषी बनाना ही इसका काम है

विवाद सरपंच के साथ, जनाब राष्ट्रपति या राज्यपाल के साथ नहीं !
पुलिस ने शिकायत पर बीएनएस की धारा 151(2) के तहत मामला दर्ज कर दिया
लापरवाही तो बेहद गंभीर लापरवाही और यदि यह चूक तो फिर ऐसी चूक क्यों
यह मामला गुरुग्राम पुलिस कमिश्नरी क्षेत्र के अधीन थाना में दर्ज किया गया
सरपंच की शिकायत में रास्ता रोकने और आंख पर चोट करने का लगाया आरोप
बीएनएस की धारा 115, 126, 151, 190, 191( 2) और 61 के तहत मामला दर्ज
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । गुरुग्राम पुलिस कमिश्नरी क्षेत्र के अधीन एक थाना में सरपंच की शिकायत पर दर्ज किया गया मामला में हरियाणा पुलिस के द्वारा बेहद गंभीर धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन आरोपियों में एक महिला जो की एडवोकेट बताई जा रही है, वह भी शामिल है। सरपंच की दी गई शिकायत पर हरियाणा पुलिस के द्वारा भारतीय न्याय संहिता की धारा 151 के तहत महिला सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है । संबंधित मामले और सरपंच की शिकायत पर पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत दर्ज मामले और धाराओं की गंभीरता तथा उनकी सजा के साथ किन हालात में इनको लगाया जा सकता है ? जानकारी मांगने के लिए संपर्क किया जाने पर संबंधित अधिकारी की तरफ से समाचार भेजा जाने तक पुलिस का पक्ष नहीं मिल सका है।
सरपंच के द्वारा पुलिस थाना में दी गई शिकायत के मुताबिक वह गांव में 21 सितंबर को बुलाई गई पंचायत के संदर्भ में 20 सितंबर को गांव में ही ग्रामीण और समर्थकों के साथ जनसंपर्क पर निकले हुए थे। 21 तारीख को होने वाली पंचायत में जो कुछ भी सर्वसम्मति से फैसला लिया जाएगा, वही फैसला भी पूरे गांव और ग्रामीणों को मान्य रहेगा। आरोप लगाया गया है कि 20 तारीख को ग्रामीणों से संपर्क के दौरान कुछ लोगों के द्वारा रास्ता रोक कर करते हुए मारपीट की गई । यह घटना मुख्य सड़क मार्ग पर पहुंचने से पहले एक चक्की के पास घटित होना बताया गया है । सरपंच के द्वारा दर्ज करवाई गई रपट अथवा पुलिस की शिकायत में सरपंच की तरफ से इस घटना के समय अथवा टाइम की कोई जानकारी नहीं दी गई है । यह घटना अथवा झगड़ा इत्यादि कितने बजे हुआ ? इसके साथ ही सरपंच ने प्रतिपक्ष पर आरोप लगाया है की जान से मारने की धमकी भी दी गई।
इस पूरे प्रकरण में सरपंच की तरफ से एक महिला जो कि वकील बताई जा रही है, उसके सहित कुल चार व्यक्तियों को नामदज आरोपी तथा अन्य का हवाला देते हुए शिकायत दर्ज करवाई गई है। सरपंच के द्वारा दी गई इस शिकायत को जांच के उपरांत घटना घटित सही पाया जाने पर बीएनएस की धारा 191( 2), 190, 126 (2) 151 (2) 61 (2) 115 (2) के तहत मामला दर्ज किया जाने के साथ ही विशेष रूप से लिखा गया है । ड्यूटी ऑफिसर के द्वारा सही पाए गए, एफआईआर की प्रतियां डाक द्वारा वरिष्ठ अधिकारी और इलाका मजिस्ट्रेट को प्रेषित की जाएगी। इसी घटनाक्रम में प्रतिपक्ष की तरफ से भी शिकायत पुलिस को दी हुई है। लेकिन उस शिकायत पर क्या कुछ कार्रवाई की गई यह अभी रहस्य ही बना हुआ है।
राष्ट्रपति और राज्यपाल से संबंधित है धारा 151(2)
सरपंच की शिकायत पर पुलिस के द्वारा जो गंभीरतम धारा 151 (2) बीएनएस लगाई गई है। कानून के जानकारों के मुताबिक नए कानून के तहत यह धारा केवल और केवल उस स्थिति में लगाई जाने का प्रावधान है। जब राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल पर कथित रूप से हमले या हमले का प्रयास किया जाए, अन्य किसी भी प्रकार से उनके कार्य में व्यवधान पहुंचाया जाए । यह सर्व विदित है कि जहां भी और जहां कहीं भी राष्ट्रपति और राज्यपाल का आवागमन हो, वहां पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाकचोबंद कर दी जाती है। एक दिन पहले ही राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के वृंदावन दौरे को लेकर इस प्रकार का सुरक्षा व्यवस्था ताजा उदाहरण है। कानून के जानकारों का यह भी मानना है कि पुलिस अपनी जांच के दौरान कोर्ट में चालान पेश करने से पहले संबंधित मामले में दर्ज धाराओं को बदल सकती है। या पूरी तरह से हटा भी सकती है। इतना ही नहीं संबंधित मामले को रद्द भी किया जा सकता है।
21 सितंबर को आयोजन की नहीं थी अनुमति
सरपंच के द्वारा पुलिस को अपनी शिकायत में लिखवाया गया है कि 21सितंबर को पंचायत के लिए वह ग्रामीणों और समर्थकों के साथ जनसंपर्क पर थे। यहां सबसे खास बात यह है कि हरियाणा पुलिस की तरफ से ही 20 सितंबर को संबंधित मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों को लिखित में नोटिस जारी किया गया की 21 तारीख को किसी भी प्रकार के आयोजन की अनुमति नहीं है। फिर भी 21 सितंबर को हरियाणा पुलिस अथवा कानून के द्वारा आयोजन की अनुमति नहीं दिया जाने के बाद जो महा पंचायत का आयोजन किया जाना नैतिक और कानूनी चर्चा सामाजिक नजरिए से कितना जायज है ? यह भी निश्चित रूप से चिंतन और मंथन का विषय है।