RSS-आरएसएस का एक खर्चा कहां से चलता है

By :  Newshand
Update: 2025-04-03 22:41 GMT

आरएसएस का एक खर्चा कहां से चलता है,पैसा वैध तरीके से आता है या फिर अवैध तरीके से।

===राजकुमार अग्रवाल== 

राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ  को बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार इतना तगड़ा सरंक्षण दिया है की परिंदा भी पर नहीं मार सकता ,कोई सवाल जबाब नहीं कर सकता ,अगर कोई सवाल जबाब करता है तो उसे पुलिसिया कहर और सरकारी तंत्र का शिकार होना पड़ता है ऐसा ही एक मामला बाईट वर्ष 2023 में सामने आया था जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ललन सिंह को उत्पीड़न सहन करना पड़ा ललन सिंह का कसूर मात्र यह था की उन्होंने आरएसएस से संबधित जानकारी देने बारे आरटीआई लगाई थी। 

मामला बीते वर्ष 2023 का है जब आरएसएस को लेकर लगातार आरटीआई दाखिल करने वाले पेशे से मजदूर आरटीआई कार्यग्कर्ता ललन सिंह ने एक बार फिर ईडी के पास संगठन के संबंध में जानकारी हासिल करनी चाही, मगर कोई जवाब नहीं मिला। ललन सिंह सवाल उठाते हैं करोड़ों मेंबर वाले आरएसएस के बारे में ईडी को जानकारी होनी चाहिए और इसके ऊपर कार्यवाही भी होनी चाहिए। या फिर मोदी सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि यह उसी तरह हमारी संस्था है, जैसे सीआरपीएफ है, जैसे बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स है।गौरतलब है कि ललन सिंह ने आरएसएस को लेकर ED में एक आरटीआई दाखिल कर जानकारी मांगी थी कि आरएसएस को लेकर क्या आर्थिक स्थितियां हैं?

संवैधानिक पैमाने पर संघ क्या है? इसका उत्तर शायद यूं दिया जा सकता है कि वैसे तो ग़ैर सरकारी लेकिन भाजपा शासन में तथाकथित सरकारी संस्थान! अब जब इस संस्थान की सुरक्षा व्यवस्था और खर्च पर एक बुज़ुर्ग ने आरटीआई दाखिल कर जवाब मांगा तो बौखलाए प्रशासन ने उसे पुलिस द्वारा समन भिजवा दिय़ा।

दरअसल ललन सिंह नाम 61 वर्षीय शख्स ने संघ कार्यालय की सुरक्षा पर खर्च बताने के लिए आरटीआई फाइल की थी, जिसमें तर्क था कि अपंजीकृत गैर सरकारी संस्थान को सरकार सुरक्षा कैसे दे सकती है? इसी के जवाब में उन्हें समन मिल गया।




 


भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देशभर में लगभग 50 हजार से भी शाखायें हैं। माना जाता है कि इसके सदस्यों की संख्या कई करोड़ है, मगर यह संख्या कहीं रजिस्टर्ड नहीं है। मेंबर रजिस्टर नहीं होने की वजह से पता चल रही है कि ये मेंबरशिप नहीं लेते, ऐसे में सवाल है कि आखिर करोड़ों सदस्यों के संगठन आरएसएस का एक खर्चा कहां से चलता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि यह पैसा वैध तरीके से आता है या फिर अवैध तरीके से।

ललन सिंह कहते हैं, इसके लिए हमने ईडी दिल्ली में रवि तिवारी को एएक आरटीआई दी कि इतने बड़े संगठन आरएसएस का खर्चा कहाँ से आता है, कहीं ये आपका धन संशोधन का मामला तो नहीं बनता है, अगर ऐसा हो तो आरएसएस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मगर इस आरटीआई का कोई जवाब नहीं आया। हमने फिर से आरटीआई डाली कि जो आरटीआई हमारी तरफ से दाखिल की गयी थी उस पर विभाग ने क्या कार्रवाई की है। मगर इस आरटीआई केा टालते हुए दिल्ली के अधिकारी ने इस मसले को मुंबई भेज दिया कि आरएसएस का हेड ऑफिस आपके क्षेत्र में है, इसलिए आप इस बात की जानकारी दीजिए।

मुंबई ईडी से हमें आरटीआई का जवाब मिला कि इस बारे में आपको आरटीआई की धारा 24 (4) के तहत जानकारी नहीं दी जा सकती। यानी ईडी ने इस धारा को एक ऐसे हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है जिससे कि आरएसएस को बचाया जा सके। आरएसएस को बचाने का यानी चार का पूरा वो दुरुपयोग कर रहे हैं। 24 (4) में 25 ऐसे सरकारी संस्थान शामिल हैं जिनकी जानकारी आरटीआई में नहीं मिलती, मगर सवाल यह है कि आरएसएस तो सरकारी संस्थान नहीं है तो फिर ईडी 24 (4) का इस्तेमाल यहां क्यों कर रहा है। मगर इन 25 संस्थानों में भी अगर कहीं मानवाधिकारों का हनन होता है या कहीं गबन भ्रष्टाचार हो रहा हो या मामला अगर जनहित से जुड़ा है तो जानकारी देनी होती है।




 


आरएसएस भी भारत सरकार की उन 25 संस्थाओं में शामिल है, जिनके बारे में आरटीआई के नियम 24 (4) के तहत जानकारी देने से मना किया जा रहा है। क्या आरएसएस भी भारत सरकार की एक ऐसी संस्था हो गई है जिसके बारे खुलासा करने पर देश में खतरा है? पर इतिहासकार और आरएसएस पर लंबे समय से काम कर रहे शम्सुल इस्लाम कहते हैं आरटीआई की धारा 24 (4) के तहत आरएसएस नहीं आता, कुछ अधिकारियों ने अपने आप ये तय कर दिया है कि आरएसएस भी उसमें है।

ऐसे में सवाल यह है कि जिस आरएसएस को भारत सरकार द्वारा अलग अलग समय में तीन बार प्रतिबंधित किया गया वह कैसे भारत सरकार का इतना नजदीकी बन जाता है कि उसके बारे में आरटीआई की धाराओं का इस्तेमाल कर जानकारी देने से तक अधिकारी मना कर देते हैं। जाहिर तौर पर इसका सीधा रिश्ता भाजपा से है, क्योंकि भाजपा का आरएसएस मातृ संगठन है और फिलहाल देश पर भाजपा राज कर रही है।

आरटीआई एक्टिविस्ट ललन कुमार सिंह और आरएसएस के जानकार शम्सुल इस्लाम साफ तौर पर कहते हैं कि भारत सरकार या भारत सरकार से जुड़े अधिकारियों ने अघोषित तौर पर यह घोषित कर दिया है कि आरएसएस सरकार के अंतर्गत आने वाली वह संस्था है, जिसमें सीआरपीएफ, इसरो, बीएसएफ या भारत सरकार के वह गुप्त संगठन शामिल हैं, जिनके बारे में आरटीआई के तहत जानकारी नहीं दी जा सकती है। ऐसे में सवाल ये है कि अभी भारत हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं हुआ है आरएसएस की मंत्रालय में कोई भागीदारी सीधे तौर पर नहीं बनी है, बावजूद इसके यह मान लेना पड़ेगा कि आरएसएस मोदी सरकार का हिस्सा है। आलोचक भी यह कहने लगे हैं कि 2024 में अगर मोदी दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से कोई नहीं रोक सकता।(साभार -जनज्वार 2023)

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