इंटरनेट है जहाँ जिंदगी है वहां
रोटी, कपड़ा और मकान(Roti, Makaan and Internet) — ये तीनों लंबे समय तक मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ मानी जाती थीं। ये वो आधार थे, जिनके लिए इंसान दिन-रात मेहनत करता था, जिनके बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी थी। लेकिन समय ने करवट ली, और इसके साथ ही मानव की प्राथमिकताएँ भी बदल गईं। आज की नई पीढ़ी के लिए रोटी और मकान अब भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनके साथ एक नई ज़रूरत ने अपनी जगह बना ली है—इंटरनेट।(Where there is internet, there is life) यह केवल एक तकनीकी साधन नहीं, बल्कि जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। आज का युवा रोटी के लिए मेहनत करता है, मकान के लिए सपने देखता है, लेकिन इंटरनेट के बिना वह अपने भविष्य की नींव को अधूरा मानता है। यह बदलाव केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर एक नई क्रांति का प्रतीक है।
पहले ज़माने में जानकारी का स्रोत सीमित था। घर में एक अख़बार आता था, कुछ पत्र-पत्रिकाएँ महीने में एक बार पढ़ने को मिलती थीं, और रेडियो या टीवी से दुनिया की ख़बरें मिलती थीं। लेकिन आज का युग डिजिटल युग है, जहाँ सूचनाएँ पलक झपकते ही उपलब्ध हैं। सोशल मीडिया, न्यूज़ ऐप्स, यूट्यूब, ब्लॉग और वेबसाइट्स ने जानकारी को इतना सुलभ बना दिया है कि यह न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि पहचान, अवसर और आत्मविकास का ज़रिया भी बन चुका है। नई पीढ़ी के लिए इंटरनेट महज़ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि वह मंच है, जहाँ से वे अपने सपनों को उड़ान दे सकते हैं। चाहे वह ऑनलाइन कोर्स के ज़रिए नई स्किल सीखना हो, यूट्यूब पर अपने टैलेंट को दुनिया तक पहुँचाना हो, या सोशल मीडिया पर अपने विचारों को व्यक्त करना हो—इंटरनेट ने हर किसी को वैश्विक मंच प्रदान किया है।
आज का युवा केवल पेट भरने के लिए मेहनत नहीं करता, बल्कि वह कुछ बड़ा करने के लिए जुटा हुआ है। वह रोटी चाहता है, लेकिन ऐसी जो केवल भूख मिटाए नहीं, बल्कि उसे आत्मनिर्भर बनाए(Priorities of the digital age: Roti, Makaan and Internet)। वह मकान चाहता है, लेकिन ऐसी जो सिर्फ़ सिर ढँकने की जगह न हो, बल्कि उसे स्वतंत्रता और आत्मसम्मान दे। और वह इंटरनेट चाहता है, क्योंकि यह वह डिजिटल खिड़की है, जिसके ज़रिए वह दुनिया से जुड़ सकता है, नई संभावनाओं को तलाश सकता है, और अपनी आवाज़ को दूर तक पहुँचा सकता है। उदाहरण के लिए, एक छोटे से गाँव का युवा, जो पहले अपने गाँव की सीमाओं तक सीमित था, आज इंटरनेट के ज़रिए कोडिंग सीखकर सिलिकॉन वैली की कंपनियों के लिए काम कर रहा है। एक गृहिणी, जो पहले घर की चारदीवारी तक सीमित थी, अब ऑनलाइन स्टोर खोलकर आत्मनिर्भर बन रही है। यह सब इंटरनेट की ताक़त का कमाल है।
भारत जैसे देश में, जहाँ गाँव-देहात अभी भी आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, इंटरनेट ने क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। बच्चे ऑनलाइन क्लासेज़ के ज़रिए पढ़ाई कर रहे हैं, किसान यूट्यूब से आधुनिक खेती के तरीक़े सीख रहे हैं, और छोटे व्यापारी ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर अपने उत्पाद बेच रहे हैं। डिजिटल इंडिया जैसे सरकारी प्रयासों और सस्ते स्मार्टफ़ोन्स की उपलब्धता ने इस बदलाव को और तेज़ किया है। विशेष रूप से, कोरोना महामारी ने इंटरनेट की अनिवार्यता को और स्पष्ट कर दिया। जब स्कूल बंद थे, तब ऑनलाइन क्लासेज़ ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा। जब अस्पतालों में भीड़ थी, तब टेलीमेडिसिन ने लोगों को घर बैठे चिकित्सा सलाह दी। और जब लोग घरों में बंद थे, तब इंटरनेट ने उन्हें सामाजिक और भावनात्मक रूप से जोड़े रखा। यह सब इस बात का सबूत है कि इंटरनेट अब केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है।
हालाँकि, इंटरनेट की दुनिया अपने साथ कई चुनौतियाँ भी लाई है। डेटा की गोपनीयता, साइबर अपराध, गलत सूचनाएँ और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। नई पीढ़ी के सामने यह चुनौती है कि वह इन खतरों को पहचाने और डिजिटल दुनिया में विवेकपूर्ण तरीक़े से आगे बढ़े। लेकिन यह भी सच है कि आज का युवा इन चुनौतियों के प्रति जागरूक है। वह डिजिटल साक्षरता को समझ रहा है, डेटा सुरक्षा के लिए सतर्क हो रहा है, और गलत सूचनाओं को पहचानने की कला सीख रहा है। यह ‘डिजिटल विवेक’ ही उसे सशक्त बना रहा है।
नई पीढ़ी की प्राथमिकताएँ इस बात का संकेत हैं कि समाज अब केवल भौतिक संसाधनों पर निर्भर नहीं रहा। रोटी और मकान अब भी ज़रूरी हैं, लेकिन इंटरनेट ने इन ज़रूरतों को एक नया आयाम दिया है। यह वह युग है, जहाँ सूचना ही शक्ति है, और इंटरनेट उस शक्ति को हर व्यक्ति तक पहुँचाने का माध्यम बन चुका है। यह केवल तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक क्रांति है। भारत जैसे देश में, जहाँ युवा आबादी दुनिया में सबसे बड़ी है, इंटरनेट ने न केवल अवसरों के नए द्वार खोले हैं, बल्कि सपनों को साकार करने की राह को भी आसान बनाया है।
यह बदलाव केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। इंटरनेट ने नई पीढ़ी को वैश्विक नागरिक बनने का मौक़ा दिया है। वह अब केवल अपने गाँव, शहर या देश तक सीमित नहीं है। वह दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से जुड़ सकता है, उसके साथ व्यापार कर सकता है, और उसके साथ अपने विचार साझा कर सकता है। यह एक ऐसी क्रांति है, जो भारत को न केवल तकनीकी रूप से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक नए युग की ओर ले जा रही है। रोटी, छत और इंटरनेट—ये तीनों आज की नई पीढ़ी की प्राथमिकताएँ हैं, जो न केवल उनके जीवन को परिभाषित कर रही हैं, बल्कि एक नए भारत की नींव भी रख रही हैं।
प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)