ये युद्ध था या लड़ाई पशोपेश में हैं दुनिया वाले

By :  Newshand
Update: 2025-06-03 14:14 GMT

बिना युद्ध किया ही लड़ाई का ट्रेलर दिखा दिया भारत ने दुनिया को 

ये युद्ध था या लड़ाई पशोपेश में हैं दुनिया वाले


भारत पाकिस्तान की नौ दस मई को हुई एयर स्ट्राइक को युद्ध कहा जाए या आपस में सदैव लड़ते झगड़ते रहने वाले बुरे पड़ोसियों का लडाई झगड़ा कहा जाए इस बात को लेकर वैश्विक सामरिक विष्लेषण करने वाले बुद्धिजीवी और दुनिया में शांति स्थापना के पैरोकार बड़े असमंजस में पड़ गए हैं। पाकिस्तान द्वारा जिस आक्रामक तरीके से वार किया गया था उससे भी भयानक और तीव्रता से भारत ने पड़ोसी मुल्क पर प्रहार किया और अगले बहत्तर घण्टों में एक विचित्र खामोशी से युद्ध बंद करने की घोषणा सीजफायर के रूप में कर डाली। किसने किया युद्ध बंद। कौन डर गया था। किसने खींचा अपने पांवों को युद्ध से पीछे। आइए समझते हैं पूरे मामले को विस्तार से। 22 अप्रैल 2025 की प्रातः धरती का स्वर्ग कही जाने वाले कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में देस-परदेस के पर्यटक स्वर्गिक दृश्यों का आनंद अपनी खुली आंखों से ले रहे थे। कोई अपने परिवार के साथ, कोई अपने प्रियजन के साथ तो कोई अपने परिजनों के साथ खा रहे थे,पी रहे थे , नाच रहे थे, गा रहे थे। शीतल मंद बयार। चारों तरफ घनघोर हरियाली। पहाड़ों के बीच में मैदानी इलाके से समतल हरी भरी हरियाली घास से पटे ढलवां मैदान। आनंद, उत्साह और उल्लास चरम पर था। और हो भी क्यों न ! जब पांच-सात दिनों की दुल्हनें भी अपने पति की गर्म बाहों के आगोश में आने वाले दिनों के रंगीन सपने बुन रही हों। परंतु अचानक से शैतान का कहर जुल्म बनकर टूटता है और देखते ही देखते स्वर्ग सी इस अलकापुरी में चीख पुकार मच जाती है। मशीन गनों की दहाड़ बिना गिनती किए अनवरत रूप से फायरिंग करती हुई दग-दग-दग-दग गोलियों की बौछार खोल डालती है। जो थी उन दुर्दांत आतंकवादियों के हाथों में जो स्थानीय पहाड़ी लोगों के बीच में उन्हीं के लिबास में छिपकर पर्यटकों के साथ मददगार के रूप में आए थे।हिंदुओं से धर्म पूछ-पूछ कर गोली मारी गई।जिन्होंने बचाव के लिए अपने को मुस्लिम बताया उनसे कुरान की आयातें सुनाने को कहा गया।कपड़े उतार कर मुस्लिम होने की शिनाख्ती जांच की गई और जो मुस्लिम नहीं पाए गये उनको उनके घर वालों के सामने ही सरेआम मौत के आगोश में सुला दिया। इस समाचार को सुनकर हिंदुस्तान के प्रत्येक सच्चे भारतीय का खून खौल उठा। भारत माता की आंखों से खून के आंसू बह उठे, जब उसे पता चला कि मरने वालों में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी हैं जिनकी महज छः दिन पहले शादी हुई थी और जिसकी पत्नी को पलक झपकते ही विधवा बना दिया। इस हमले में पहली गोली लगने वाला पर्यटक शुभम द्विवेदी भी नव विवाहित था जो कानपुर से अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर आया था। मृतक लोगों की पत्नियां आतंकियों से गुहार कर रही थी कि उन्हें भी गोली मार दो। परंतु आतंकियों ने कहा कि- नहीं, जाकर अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बता देना।

सारा देश स्तब्ध था। सरकार हैरान ही नहीं बहुत परेशान थी। इस हैरानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खामोशी ने और अधिक गंभीर बना दिया। देश में आतंकवादियों से बदला लेने और उन पर हमला करने की मांग पूरे राष्ट्र से एक साथ उठ खड़ी हुई। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खामोशी तूफान से पहले का गंभीर रूप धारण कर चुकी थी। जो लोग प्रधानमंत्री की कार्यशैली से वाकिफ हैं वह यह तो जानते थे कि कुछ होगा।परंतु इतना जल्दी और इतना तीव्र होगा इसका किसी को अनुमान न था और ना ही अंदाज़ा। छः मई की रात पाकिस्तान के लिए कयामत की रात साबित हुई जब भारतीय सेवा ने पाकिस्तान पर मध्य रात्रि 1:05 से 1:30 मिनट तक मात्र बाईस से पच्चीस मिनट में ऐसा भयानक और चौतरफा हमला किया कि पाकिस्तान को सोचने की तो छोड़िए करवट बदलने तक का मौका नहीं मिला। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की अगुवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर जो सटीक, सफल, आक्रामक और लक्ष्य भेदक एयर स्ट्राइक का अति कुशल प्रदर्शन किया जिससे पूरी दुनिया अचंभित रह गई। इसके बाद अगले दो दिनों तक भारतीय सेना की तीनों सेनाओं ने जो अदम्य शौर्य का जांबाज प्रदर्शन किया उसे देखकर अमेरिका चीन और रूस तक दंग रह गए।पाकिस्तान के अंदर घुसकर बिना आम जन-मानस को कोई हानि पहुंचाए भारतीय वायु सेना ने आतंकवादियों के कई ठिकानों का जो लक्ष्य भेदन किया वह हैरान कर देने वाला था। इसके ठीक दो दिन बाद आठ मई को पाकिस्तान ने चाइनीज ड्रोन और अपनी मिसाइलों के साथ रात को हिंदुस्तान पर बड़ा जोरदार हमला किया जिसे भारतीय सेना ने अपने स्वदेशी हथियारों और इजरायली टेक्नोलॉजी से लैस आयुधों से ध्वस्त करते हुए पाकिस्तान के चार सौ से अधिक ड्रोन को मार गिराया। नौ मई को भी पाकिस्तान ने स्वार्म ड्रोन, लुटेरिंग म्यूनिशन और फतेह मिसाइलों के साथ छब्बीस भारतीय ठिकानों पर आक्रमण किया। लेकिन नौ और दस मई को भारतीय सेना ने इतने भयंकर तरीके से आक्रमण किया कि पाकिस्तान के तोते उड़ गए। पाकिस्तानी सेना और सरकार ने त्राहिमाम कहते हुए डीजीएमओ भारतीय सेना के माध्यम से संघर्ष विराम की फरियाद भारत सरकार तक भिजवाई। दस मई की शाम पांच बजे भारत ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि आइंदा दोबारा किसी प्रकार की गुस्ताखी या जरा सी भी आतंकी कवायद की गई तो दोबारा फिर से हमले के लिए तैयार रहना। पाकिस्तान ने बात स्वीकार कर ली और आम जान-माल को ध्यान में रखते हुए संघर्ष विराम हो गया। यद्यपि देशवासियों की इच्छा थी कि इस बार पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर दिया जाना चाहिए। परंतु यह एक बड़ी भारी कूटनीतिक गलती साबित हो सकती थी। क्योंकि,भारत आज उभरती हुई एक ऐसी शक्ति है जिसे अमेरिका और चीन जैसे सुपर पावरफुल देश भी हल्के में नहीं ले रहे हैं। हिंदुस्तान की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उसकी टीम की तारीफ में वाह-वाह कर उठी जब उसने इस ऑपरेशन को इसके सिंदूर नाम तथा इसे अंजाम देने वाली भारत की दो वीर बेटियों के रूप में देखा। पूरे देश का गुबार छन्न से शांत हो गया। देश का आक्रोश, क्रोध और उच्छवास सब कृतज्ञता,राष्ट्रीयता,अस्मिता और गौरव के रूप में आंखों के अश्रुओं के साथ बह निकला। देश के दिवंगत छब्बीस लोगों के परिजनों ने शांति और संतुष्टि की पुष्टि की।

आइए ! अब बात करते हैं इस युद्ध के वैश्विक सामरिक विवेचन की। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि मौजूदा परिदृश्य में कोई भी देश अपनी मर्जी से युद्ध शुरू तो कर सकता है परंतु इसे बंद करने का स्विच फिर उसके हाथ में नहीं रहेगा। यूक्रेन और इसराइल इस बात के सबसे ताजातरीन उदाहरण हैं । दुनिया की महाशक्ति रूस को लगता था कि यूक्रेन युद्ध को वह तीन से चार दिन में निपटा देगा। लेकिन आज चार साल हो चुके हैं रूस अपने ही घर में गिर कर रह गया है। पिछले चार वर्षों से रूस की अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर कोई विशेष उपस्थिति नहीं है। वह बुरी तरह से उलझ गया है अपने ही आत्मघाती प्रयास में। उधर यूक्रेन को भी लगता था कि अमेरिका उसकी मदद में सीधे भागीदारी करेगा। परंतु अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध के लिए उकसा कर स्वयं पांव पीछे खींच लिए तथा युद्ध में प्रत्यक्ष भागीदारी से साफ मना कर दिया। ऐसा ही कुछ अमेरिका भारत के साथ करने वाला था। एक तरफ तो भारतीयों की खैरख्वाह रखने वाले हितैषी के रूप में प्रस्तुतीकरण तथा दूसरी तरफ पाकिस्तान को आईएमएफ कोष से एक अरब डालर यानी आठ हजार करोड़ रुपए की किस्त को जारी करने वाला मायावी। यदि भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध करता तो पाकिस्तान इस सारे पैसे का प्रयोग युद्ध के अस्त्र-शस्त्र खरीदने में ही करता और अमेरिका का काफी सारा शस्त्र स्टॉक पाकिस्तान को ही बेचा जाता। आज भारतवर्ष कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से एक-एक कदम फूंक कर रख रहा है जिसे देखकर चीन अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियां भी आश्चर्य चकित हैं।

अब बात करते हैं इस आंशिक युद्ध के धरातलीय परिणामों की। भारत की जल, स्थल और वायु सेना ने इस अल्पावधि के युद्ध प्रदर्शन में बहुत सधे हुए युद्ध अभ्यास जैसा प्रदर्शन किया। वायु सेना ने सटीक निशाने लगाए। थल सेना ने पाकिस्तान के चार सौ से अधिक ड्रोन और दर्जनों मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया। नौसेना ने मुस्तैदी से अपने युद्धपोतों को वायु सेना के लिए बेस के रूप में तैयार करके रखा था। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारतीय सेना ने इस युद्ध कौशल में अपने आप को कुशल, प्रवीण स्किल्ड और पेशेवराना प्रोफेशनल आर्मी के रूप में इजरायली सेना की तरह प्रस्तुत किया जो पलक झपकने से पहले कुछ कर गुजरने की तैयारी में खड़ी दिखाई दी। इसके लिए देश के रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के जनरल कमांडर की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। और इस युद्ध ने पूरी दुनिया के सामने चीन की पोल खोलते हुए यह भी साबित कर दिया कि चीनी सामान आज भी उतना ही चाइनीज है जितना दशकों पहले सस्ता और चलाऊ रूप में होता था। उसके ड्रोन मिट्टी के खिलौने साबित हुए।भारत की सेनाओं के लिए यह घटनाक्रम एक बहुत सफल युद्ध अभ्यास जैसा रहा जिसकी धमक और चमक से वैश्विक शक्ति के रूप में दबदबा कायम रखने की इच्छा रखने वाले चीन अमेरिका, रूस, जर्मनी और जापान जैसे देश भी दंग रह गए। भारतीय सेना ने जितना सटीक प्रहार किया उतना ही सधा हुआ और चौकस रक्षण भी किया। सेना के जवानों ने पाकिस्तानी सेना के पीएल-15 ,जे-10, एचक्यू-9 जैसे सैन्य एयरक्राफ्ट, ड्रोन और मिसाइलों को नेस्तनाबूद करते हुए पाकिस्तानी सेना के कई एयर बेस और डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया। हालांकि राजौरी और पुंछ के क्षेत्र में लगातार गोलीबारी से भारतीय जान-माल को भी क्षति पहुंची परंतु पाकिस्तानी क्षति की तुलना में वह नाम मात्र भी नहीं कहीं जा सकती।

चलिए ! अब इसको आर्थिक तौर पर समझते हैं। पूरी दुनिया के आर्थिक रणनीतिकार और विशेषज्ञ ट्रंप महाराज के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही उनके द्वारा लिए गए अनाप-शनाप निर्णयों और टैरिफ की तानाशाही के मद्देनजर एक अच्छी खासी ग्लोबल आर्थिक हलचल की आस लगाए बैठे थे। खासतौर से अमेरिका में आर्थिक मंदी होने की आशंका से वे सब ज्यादा खौफजदा थे। ऐसे में भारतीय हमले के पश्चात युद्ध की आशंका से भारतीय बाजार और सेंसेक्स ने भी गिरावट की राह को पकड़ लिया था। भारत की इस सामरिक कार्यवाही ने चीन के बाजार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया। सैन्य अस्त्र-शस्त्र और उपकरण बनाने वाली चीन की झूंझो होंगड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के शेयर 6% तथा एविक चेंगडू एयरक्राफ्ट कंपनी के शेयर 9% से अधिक गिर गये। चीन का कुल रक्षा बाजार 7% से अधिक नीचे गिर गया। इसके विपरीत भारतीय हमले के तीन दिन बाद ही भारतीय सेंसेक्स तीन हजार अंकों के साथ पुनः अस्सी हजार के शिखर पर जा पहुंचा तथा भारतीय रक्षा बाजार के शेयर 7% से 20% तक की वृद्धि पर जा पहुंचे। भारतीय ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल के निर्माण करने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयर 7% से अधिक। BEL यानि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के शेयर 10% से अधिक भारत फोर्ज के शेयर 5% से अधिक पारस डिफेंस के 7% से अधिक तथा भारत डायनामिक्स के शेयर 19% से अधिक के उछाल तक जा पहुंचे। युद्ध कार्यवाही के इसी सप्ताह नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रमण्यम ने घोषणा की- भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने अपना यह दावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत किया। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 में भारत का रक्षा बजट छः लाख इक्यासी हजार करोड़ रुपए रखा है जिसे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2029 तक पचास हजार करोड रुपए तक ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई। मौजूदा समय में भारत एक ऐसे संघर्ष और संक्रमण काल से गुजर रहा है जहां वह दुनिया का नेतृत्व करने और विश्व सम्राट बनने की अपनी बुनियाद को बुलंद करने का मजबूत प्रयास कर सकता है। ऐसे में उसे बाह्य शत्रुओं से और अपने ही देश में छिपे छद्म शत्रुओं से निपटने के लिए अतिरिक्त सजगता और सचेत रहने का परिचय देना होगा। उसे आवश्यकता है विशेष धैर्य, विवेक कूटनीति एवं विशेष रणनीति की जिसका अवलोकन पूरी दुनिया दांतों तले अंगुली दबाकर कर रही है।

ऐसे में प्रत्येक हिंदुस्तानी और भारत भूमि से प्रेम करने वाले भारतीय नागरिक को तन-मन-धन से हिंदुस्तानी सेना , सरकार और संस्कृति के साथ एक स्वर और एक ताल में लामबंद होना होगा। तभी भारतवर्ष बन सकता है दुनिया का पथ प्रदर्शन करने वाला, मार्गदर्शन करने वाला अलौकिक एवं आध्यात्मिक आभा लिए शांत, स्थिर और सहिष्णुता वाला सशक्त राष्ट्र।




         डॉ जगदीप शर्मा 'राही

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