उत्तर प्रदेश में ढकोसला चल रहा है
जेब में ठूंसा लोकतंत्र!
व्यंग्य आलेख : संजय पराते
योगी सरकार का आदेश है कि राज्य के सभी जनपदों में हर शनिवार को आम जनता की सभी समस्याओं का संपूर्ण समाधान किया जाएं। आम जनता के नाम पर ऐसे ढकोसले करना भाजपा सरकार की निशानी बन गया है। उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ढकोसला चल रहा है। इस ढकोसले का एक प्रमाण हवा में वीडियो के रूप में वायरल हो रहा है। घटना 10 माह पुरानी, पिछले वर्ष दिसंबर की है।
दरअसल, संपूर्ण समाधान के नाम पर शनिवार का दिन राज्य भर में कलेक्टर साहब, एसपी साहब के साथ ही पुलिस प्रशासन के तमाम अधिकारी-कर्मचारियों का दिन होता है। इसलिए कि बाकी दिन ये सब बेचारे जनता के सेवक रहते हैं, जनता के दरबार में मत्था टेकते घूमते रहते हैं। इसलिए, इस दिन के लिए योगी सरकार का फरमान है कि जनता इनके दरबार में आकर मत्था टेके और इनका रुतबा देखें कि चुटकी बजाते ये कैसे समाधान करते हैं।
सो, मैनपुरी की एक पीड़िता भी अपनी बेटी के साथ पहुंच गई थाना किशनी में, जहां कलेक्टर का दरबार सजा था। आम जनता अपनी दबी-कुचली आवाज में रिरिया रही थी और कलेक्टर साहब मस्त मुद्रा में समाधान लुटा रहे थे। लेकिन कलेक्टर साहब की इस मस्तानी मुद्रा को इस विधवा महिला ने भंग कर दिया। उसे उम्मीद थी कि साहब लोग सुनेंगे और उसे न्याय मिलेगा। उसकी समस्या थी कि उसकी खेती की जमीन पर किसी बड़े आदमी ने कब्जा कर लिया है। थाने-चौकी-तहसील में वह कई बार मत्था रगड़ आई है, लेकिन हर बार भगा दी गई है। उसने कलेक्टर को अपना सेवक समझ कर उसे अपनी जमीन दिलाने की मांग की।
अब बेचारी को यह नहीं मालूम था कि उसकी समस्या बहुत बड़ी है, क्योंकि उसकी जमीन पर हाथ किसी बड़े वाले ने रख दिया था। बड़ा वाला छोटा होता और विधवा से छोटा होता, तो न जाने कब का उसे दो डंडा मारकर समाधान कर दिया जाता। लेकिन बड़ा वाला छोटा नहीं था और शायद बड़े वाले कलेक्टर से भी बड़ा था। इसलिए न तो छोटों वालों से समस्या हल हो सकती थी और न उस बड़े वाले से भी, जिसने अपना यह दरबार योगी सरकार के कहने पर सजाया था।
चूंकि थाने में दरबार सजा था, इसलिए पीड़िता अपने अंदर जमे थाने-तहसील के खिलाफ गुस्से को काबू करने की स्थिति में नहीं थी। बताया जाता है कि महिला ने कलेक्टर साहब के सामने जब अपनी शिकायत रखी, तो उसकी आवाज थोड़ी ऊंची थी। तभी बीच में राजस्व विभाग के अधिकारी बोलने लगे। इससे कलेक्टर साहब को समझ में आ गया कि मामला उनसे भी बड़े वाले का है। अब बड़े वाले कलेक्टर को यह अच्छा नहीं लगा कि उससे भी बड़े वाले की शिकायत उनसे ऐसी आवाज में की जाए कि पूरे दरबार में उसकी आवाज गूंजे, इसलिए कलेक्टर साहब को उस पीड़िता का ऊंची आवाज में बोलना अच्छा नहीं लगा। दोनों में थोड़ी बहस हुई, तो पीड़िता ने और जोर से बोला कि "हम लोग भाग-भाग कर थक चुके हैं। सब लोग भ्रष्टाचारी और घूसखोर हैं। कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। यहां भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है। सब पैसे लेते हैं, तभी हम लोगों को बोलने नहीं दिया जा रहा है।"
जनता के इस सेवक को अच्छा नहीं लगा कि उसके प्रभुत्व और बड़ेपन को कोई अदना-सी विधवा महिला चुनौती दे। यदि भरे दरबार में ऐसी चुनौतियां उसे मिलती रहे, तो न वह रहेगा और न उससे बड़ा वाला ही रह पाएगा। इसलिए शायद महिला की ऊंची आवाज पूरी व्यवस्था को ही चुनौती थी और जनता के सेवक कलेक्टर को यह मंजूर नहीं था। जमीन पर काबिज उस बड़े वाले से छोटे कलेक्टर साहब को इसका तुरंत समाधान निकालना जरूरी लगा। सो, भरे दरबार में उसने महिला और उसकी बेटी को गिरफ्तार करके जेल में डालने का हुक्म सुना दिया। अब बड़े वाले जन सेवक का आदेश था, तो छोटे जन सेवकों को तो अमल करना ही था। कोई चारा नहीं था और कोई तर्क भी नहीं कि बड़े वाले की हुक्म उदूली छोटे वाले कर सके। यह छोटे वालों के मनोनुकूल भी था। चाहते तो वे भी यही थे, लेकिन कर नहीं पाए थे। जेब में लोकतंत्र की थोड़ी-बहुत लाज रखकर चलने की जो मजबूरी थी। लेकिन बड़े वाले ऐसी किसी मजबूरी को जेब में थोड़े ही रखते हैं! मजबूरी में लोकतंत्र की लाज रखने जायेंगे, तो हो गया राजकाज, हो गया समस्या समाधान!!
अब बड़े वाले साहब का आदेश था, तो छोटे वालों ने भी आव देखा न ताव। यह विधवा पहले उनसे भी चपर-चपर कर चुकी थी, सो मां-बेटी को तत्काल गिरफ्तार करके जेल दाखिल कर दिया गया। वीडियो दिखा रहा है कि महिला पुलिस दोनों को ले जा रही है।
कलेक्टर नाम का बड़ा वाला जीव जन सेवक था, जनता की सेवा के लिए पैदा हुआ था। लेकिन योगी-मोदी राज में तो जनता की परिभाषा तक बदल गई है। अब तो चुनाव आयोग भी जनता से कह रहा है कि पहले अपने को जनता सिद्ध करो। इस बड़े वाले जन सेवक ने भी सोचा होगा कि मैनपुरी की यह विधवा महिला, जो इतनी चपर-चपर कर रही है, हो न हो, सपाई ही होगी। अब कोई सपाई, कोई कांग्रेसियाई, कोई बसपाई या कोई कम्युनिस्ट भला जनता कैसे हो सकती है? जनता कहलाने के लिए तो भाजपाई होना जरूरी है। इसलिए जो जनता ही नहीं है, भला कलेक्टर उसकी जन सेवा क्यों और कैसे करें??
लेकिन मामला गोदी प्रशासन के गोदी मीडिया तक सीमित रहता, तो चल जाता। सोशल हो गया और सोशल मीडिया से सत्ता के गलियारों तक उसकी थू-थू करते पहुंच गया। लखनऊ को लगा कि बहुत ज्यादा हो गया है, क्योंकि अभी तक हिंदू राष्ट्र बना नहीं है और लोकतंत्र भी जेब में ही सही, लेकिन जिंदा है और सांसें ले रहा है। कलेक्टर साहब की उससे बड़े वाले साहब ने पेशी ली। इस बड़े वाले की उससे भी बड़े वाले ने पहले ही पेशी ले ली थी कि वीडियो जैसे-जैसे वायरल हो रहा है, सरकार की नंगाई जनता की आंखों में चुभ रही है। बड़े वाले ने अपने से छोटे कलेक्टर साहब को समझाया कि भैये, अपनी जेब में ठूंसे लोकतंत्र का भी थोड़ा बहुत ख्याल कर लिया करो, क्योंकि अभी संपूर्ण हिंदू राज नहीं आया है। अभी तक तो केवल बुलडोजर राज तक ही पहुंचे हैं। लेकिन इस बुलडोजर राज को ऊपर वाला सुप्रीम कोर्ट भी मानने के लिए तैयार नहीं है। सो थोड़ा धैर्य रखो। इस समझाइश का छोटे वाले जन सेवक पर असर पड़ना ही था। उसे भी अपने जेब में ठूंसे लोकतंत्र से बाहर झांकती लोक-लाज का ख्याल आया। विधवा महिला और उसकी बेटी को छोड़ने का आदेश जारी हो गया।
यही है योगी प्रशासन का असली चेहरा, जिसे उत्तर प्रदेश की पूरी जनता आज झेल रही है। जनता की समस्याओं का समाधान करने का उसका तरीका यही है कि जनता का मुंह बंद कर दो, चाहे उसे जेल में ही क्यों न डालना पड़े। जो सरकार अपने प्रदेश में कानून का नहीं, बुलडोजर का राज स्थापित करना चाहती हो, उसे एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का संवैधानिक हक नहीं है। यह मामला बताता है कि सरकार प्रशासन नहीं चला रही है, बल्कि प्रशासन ही सरकार को चला रहा है। वरना ऐसे बदतमीज और बददिमाग कलेक्टर को इस घटना के बाद ही तुरंत हटा दिया जाता। लेकिन वे पूरी दमदारी से अपनी जगह विराजमान थे।
यह घटना 10 माह पुरानी है। पिछले साल दिसंबर की है। तब से अब तक तीन दर्जन से ज्यादा समाधान दिवस यह सरकार मना चुकी है। लेकिन विधवा मां-बेटी की समस्या ज्यों-की-त्यों है। जमीन हड़पू इस बड़े वाले पर हाथ डालने की हिम्मत बुलडोजर बाबा की भी अभी तक नहीं हुई है।
दीवार पर लिखी इबारत साफ दिखा रही है कि वोट चोरी से बनी सरकार का संपूर्ण समाधान करने का दिन नजदीक आता जा रहा है।
(लेखक अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष हैं। संपर्क : 94242-31650)