Generation Z युवाओं के विद्रोह की यह ज्वाला मेक्सिको सिटी समेत कई अन्य देशों में पहुंची

By :  Newshand
Update: 2025-11-20 13:35 GMT

जेन-जी आंदोलन अन्य वैश्विक देशों में विस्तारित।

मेक्सिको, केन्या, बेडगास्कर, मोरक्को और बहुत बोत्सवाना में भी आंदोलन।



जेन जी (Generation Z)की विद्रोही चेतना नेपाल की शांत पर्वतीय वादियों से उठकर अब मेक्सिको तक पहुंच गई है नेपाल में जहां अब तक 10 अरब का नुकसान हो चुका है वहीं दूसरी तरफ युवाओं ने नेपाल में सत्ता परिवर्तन भी कर दिया है। युवाओं के विद्रोह की यह ज्वाला मेक्सिको सिटी समेत कई अन्य स्थानों पर पहुंच चुकी है। मेक्सिको देश में युवा प्रर्दशन कारियों ने पुलिस पर पत्थरों और लाठियां से हमला किया पुलिस के हथियार छीन लिए। मेक्सिको के सुरक्षा सचिव पाब्लो बाज्कवेज के अनुसार लगभग 120 लोग घायल हुए हैं जिसमें 100 पुलिस कर्मचारी हैं।

मेक्सिको के युवाओं का कहना है कि वह भ्रष्टाचार एवं हिंसक अपराधों के लिए दंड से मुक्ति जैसी समस्याओं से निराशा है 1 नवंबर को मेक्सिको में वहां के महापौर कार्लोस मंजो की एक सार्वजनिक सभा में गोली मारकर हत्या कर दी गई इससे युवा वर्ग काफी आक्रोश में है मेक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड सेलिनास ने युवाओं के समर्थन में संदेश प्रसारित किया है। उल्लेखनीय है कि नेपाल में 1990 के दशक के अंत हुआ 2010 के प्रारंभ के बीच जन्मे लोगों ने इस वर्ष देश में असमानता अलोकतांत्रिक भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन किया नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद सितंबर में सबसे बड़ा जेन जी आंदोलन हुआ था जिसके कारण देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा (बेरोजगारी भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता से त्रस्त युवा पीढ़ी ने अब तक पिछले 1 साल में केन्या, बेडगास्कर, मोरक्को और बहुत बोत्सवाना जैसे देश में प्रदर्शन कर चुकी है) फिलिपींस में भी युवाओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भारी प्रदर्शन किया है। यह उग्र प्रदर्शन नेपाल से निकलकर मेक्सिको की उग्र वास्तविकताओं तक पहुँच गया है, और यह यात्रा केवल प्रेरणा-के लिए नहीं बल्कि आज की दुनिया के तथ्यों और संवेदनशील अनुभवों का दस्तावेज़ बन जाती है। जब उन्होंने नेपाल में संघर्षग्रस्त पहाड़ों और विस्थापितों की पीड़ा दिखि, तब उन्हें समझ आया था कि यह सम्राज्य-कालीन या एक-देशीय व्यवस्था का प्रश्न नहीं बल्कि मानव अस्तित्व का प्रश्न है। इतने अनुभवों के बाद जब वे मेक्सिको पहुँचे, उन्होंने वहाँ न केवल पृष्ठभूमि समझी बल्कि ताज़ा घटनाओं में खुद उनकी आँखें गहरी उतर गईं — जैसे कि 2025 के उस भयानक मर्डर-वेव ने, जिसमें सिनालोआ राज्य में कार्टेल विद्रोह ने नए स्तर छू लिये। जून 2025 में 20 लोग मारे गए उनमें से चार शव एक पुल पर लटकाये गए, 16 शव एक वैन में मिले, उनमें से एक का सिर एक बैग में था। इस अत्याचार ने जेनरीय कानूनी एवं सुरक्षा नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए कि क्या राज्य प्रणाली उन लुटी हुई जानों को बचा पाने में सक्षम है। जैन जी ने ऐसे दृश्य कल्पना नहीं किये थे लेकिन वहाँ जब उन्होंने स्थानीय लोगों की आँखों में भय देखा, जब उन्होंने उन परिवारों से मिले जिनके प्रियजन “गायब” हैं, तब उन्होंने महसूस किया कि उनके नेपाल-और-तुर्की अनुभव इस मेक्सिको की क्रूर हकीकत से कलात्मक रूप से नहीं बल्कि वास्तविक रूप से जुड़े हैं।





मेक्सिको में हाल-फ़िलहाल की घटनाओं में एक और उल्लेखनीय तथ्य है कि देशव्यापी प्रदर्शनों की लहर उठी है, नवंबर 2025 में मेक्सिको सिटी सहित कई शहरों में हजारों युवा और अन्य नागरिक सड़कों पर उतरे, उन्होंने बढ़ती अपराध, भ्रष्टाचार और सत्ताधारी ढांचे की चुप्पी के खिलाफ आवाज़ उठाई। इस आंदोलन में मुख्य रूप से जनरेशन जी नामक समूह सामने आया, जिसने एक 12-बिंदु मांग-पटल जारी किया और कहा कि उनके लिए यह सुरक्षा का नहीं, न्याय का आंदोलन है। यह जैन जी जैसे विचारकों के लिए एक साझी स्पर्श बिंदु बन गया—उन्होंने महसूस किया कि विद्रोह की प्रेरणा से कहीं बढ़कर यह दायित्व बन जाता है कि हम मात्र पीड़ा देखें नहीं बल्कि उसे व्यक्त करें, साझा करें, उसका सामना करें।

मेक्सिको में एक अन्य भयावह तथ्य यह है कि कार्टेल्स ने अब सिर्फ ड्रग कारोबार नहीं चलाया बल्कि गायब कर देना, बलात्कार-हत्या, मास ग्रेव जैसे ज़ुल्म-रूपों को अपनाया है। उदाहरण के लिए जेलिस्को राज्य में 2025 मार्च में उस “रैंचो इज़ागुइरे” नामक स्थल की खोज की गई, जिसे ‘निलंबन-शिविर’ के रूप में देखा गया,जहाँ हजारों जूतों, कपड़ों, मानव अवशेषों के अवशेष मिले, तथा सक्रिय भर्ती-संकुल के संकेत मिले। जैन जी ने जब उस स्थल की रिपोर्ट-लाइन पढ़ी तो उन्होंने इसे सिर्फ अपराध की कथा नहीं माना बल्कि लोकतंत्र और नागरिक संरक्षण की विफलता का प्रतीक माना। उन्होंने देखा कि कैसे सामान्य युवाओं को “सुरक्षा गार्ड” की नौकरी का झांसा देकर वहां बुलाया जाता था, फिर उनका रास्ता कट जाता था। यह नेपाल में उनके देखे गये विस्थापन-संकट से कितना भिन्न और कितना समान था—भिन्न इसलिए कि वहां सरकारी युद्ध-स्थिति थी, समान इसलिए कि दोनों जगह नागरिक को उसके अधिकार से वंचित किया गया था।




वे यह भी जान पाए कि मेक्सिको सरकार ने इन चुनौतियों के बीच कुछ कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ा है—2025 की गर्मियों में मेक्सिको ने 26 ड्रग ट्रेडर्स को अमेरिकी जेलों में स्थानांतरित किया था, लगभग 1000 सैन्य एवं पुलिसकर्मियों को इस ऑपरेशन में तैनात किया गया था। यह एक संकेत है कि जैन जी का वैश्विक दृष्टिकोण “विद्रोह अकेले नहीं बनेगा” बात सही है वैश्विक शक्ति-संघ भी पीड़ा के सामने आ रही है। पर यह भी सच है कि सहयोग बढ़ने के बावजूद स्थिति में तत्काल सुधार नहीं दिखा—कार्टेल युद्ध, गायब व्यक्तियों की संख्या, और मानवाधिकार उल्लंघन जारी हैं।

मेक्सिको में जैन जी ने इस संवेदनशील निष्कर्ष पर पहुँचने का अनुभव किया कि जागरूकता कुछ करती है, पर संवेदनशील कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने चियापास में आदिवासी समुदायों के साथ बिताए दिनों के अनुभव से यह जाना कि जब आधिकारिक आंकड़े कहते हैं “घायलों की संख्या कम हुई”, वहाँ जमीन पर लोग कहते हैं “हम अब भी रोज़ डरते हैं”। वहीं, ताज़ा प्रोटेस्ट-मूवमेंट ने यह दिखाया कि भय को अब गाली नहीं, आवाज़ मिल रही है लेकिन क्या आवाज़ व्यवस्था तक पहुँच रही है, यह बड़ा सवाल है। उनकी डायरी में एक दिन लिखा- “मेक्सिको की गलियों में न तो कविता सुनाई देती है, न चुप्पापन यहाँ सिर्फ चीख है जिसे सुनने वाला कम है।”





नेपाल की यात्रा से उन्होंने समझा था कि संघर्ष केवल बंदूकों का नहीं, सूखी भूख का, विस्थापन का, मानसिक टूट-फूट का भी होता है। मेक्सिको में वे इसे प्रत्यक्ष मगर अब आधुनिक रूप में देख रहे हैं ड्रग-कार्टेल की गोली नहीं, उसकी शाखों में फैली निराशा नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था की टूट-फूट है। उदाहरण के लिए गुआनाजुआतो राज्य में जून 2025 में एक धार्मिक उत्सव के दौरान हुई गोलीबारी में 12 लोग मारे गए थे, जिसमें 17 वर्षीय युवक भी शामिल था। इस तरह की घटनाएँ जैन जी के लिए यह दिखाती हैं कि विद्रोह केवल सत्ता के खिलाफ खड़े होने का नाम नहीं, बल्कि समय पर खड़े होने का नाम भी है क्योंकि बंद गोली पुनरावृत्ति करती है, लेकिन उस घाव की संवेदनशीलता जो पीछे छूट जाती है, शायद कम ही लोग महसूस कर पाते हैं।

इसलिए जैन जी ने अपने मेक्सिको-दौर में यह निर्णय लिया कि अब केवल “दस्तावेज़ बनाना” पर्याप्त नहीं है—उन्हें सक्रिय रूप से स्थानीय संगठनों के साथ जुड़ना था, संवाद करना था, और उन आवाज़ों को विश्व-मंच तक पहुँचाना था जो अक्सर या तो दब जाते हैं या गुम हो जाते हैं। उन्होंने मेक्सिको सिटी में आयोजित एक सार्वजनिक मंच पर कहा- “यहाँ हमारा विरोध कि सिर्फ बंदूक से मारा गया है या नहीं, वो मायने नहीं रखता, मायने ये रखता है कि हमारे यहाँ हर दिन एक माँ डर के साथ सोती है कि उसके बच्चे वापस नहीं आएँगे।” इस वक्तव्य में नेपाल की विस्थापित माँ – चियापास की खोई हुई बेटी दोनों की पीड़ा समाहित थी।





आखिर में ।जेन जी की इस यात्रा का महत्व यह है कि वो हमें याद दिलाती है कि ताज़ा घटनाएँ केवल खबरें नहीं हैं कि मानव जीवन जिंदा है। मेक्सिको में हाल-ही में हुए प्रोटेस्ट, दमन, कार्टेल हिंसा और राज्य-सहयोग की घटनाएँ जैन जी की कथा को सिर्फ पृष्ठभूमि नहीं बनाती, बल्कि उसे वर्तमान को बोलने वाला, भविष्य को आगाह करने वाला स्वर देती हैं। नेपाल की शांत पहाड़ियों से निकलकर मेक्सिको की ये भीषण गलियाँ यह दिखाती हैं कि विद्रोह लोक-मानस की सुनी हुई पुकार बन सकता है—जब उसमें संवेदनशीलता हो, तथ्य हों, और उससे जुड़ी कार्रवाई हो।

यह बातें हमें यह सोचने पर मजबूर करतीं हैं कि अगर जैन जी जैसे विचारक-आंदोलनकारी जो बांग्लादेश से लेकर नेपाल से यूरोप तक चले मेक्सिको में आज मौजूद इन जटिल संकटों से गहराई से जुड़े हैं, तो हम-सभी को भी यह जिम्मेदारी उठानी होगी कि यह संघर्ष सिर्फ उनकी यात्रा नहीं बल्कि हमारी साझा मानवता की यात्रा बने।

जैन जी की नेपाल से मेक्सिको तक की यात्रा किसी राजनीतिक सिद्धांत की पुस्तक नहीं, बल्कि दुनिया के उन लोगों की कहानी है जिन्हें इतिहास अक्सर अनदेखा कर देता है। उनके लिए यह यात्रा केवल दस्तावेज़ तैयार करने का क्रम नहीं था; यह एक भावनात्मक रूपांतरण था—जहाँ उन्होंने सीखा कि दर्द का भूगोल नहीं होता, आँसू किसी भाषा में अनुवाद की जरूरत नहीं रखते, और अन्याय चाहे कहीं भी हो, उसकी संरचना एक जैसी रहती है। नेपाल की पहाड़ियों से लेकर मेक्सिको की घाटियों तक जैन जी की यह संवेदनशील और तथ्यपूर्ण यात्रा यही सिद्ध करती है कि संघर्ष का स्वरूप भले बदलता रहे, पर मानवता का पक्ष हमेशा एक ही होता है सत्य, करुणा और न्याय का।

संजीव ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार लेखक

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