Ahmedabad plane crash-शव तेजी से सड़ रहे,अहमदाबाद में कोल्ड स्टोरेज की कमी,
अहमदाबाद/15 जून /कृष्ण मुरारी/न्यूज हैंड
इतनी बड़ी त्रासदी के लिए तैयार नहीं होने के कारण अहमदाबाद अब एयर इंडिया फ्लाइट 171 के पीड़ितों के शवों को तब तक सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि अहमदाबाद के सभी शवगृहों को मिलाकर भी इतने शवों को रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। सिविल अस्पताल के अलावा, कुछ ही अस्पतालों में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा है, और वह भी सीमित है.
अभी जिन शवों को असारवा सिविल अस्पताल लाया गया है, वहां केवल 36 शवों के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था है. अहमदाबाद में कुल कोल्ड स्टोरेज क्षमता 66 शवों की है—जिसमें असारवा सिविल अस्पताल में 36, सोलिया सिविल अस्पताल में 18, और वी.एस. अस्पताल में 12 शवों के लिए स्थान है, लेकिन इस गर्मी में शव तेजी से सड़ रहे हैं, और असारवा अस्पताल के शवगृह परिसर में दुर्गंध फैली हुई है. जो शव 2 से 6 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखे जाने चाहिए, उन्हें फिलहाल सिविल अस्पताल अहमदाबाद के एयर कंडीशन्ड शवगृह में रखा गया है.
डॉक्टरों को शवों को तब तक सुरक्षित रखना है जब तक कि उनका डीएनए जांच कर रिश्तेदारों से मिलान न हो जाए. अब भी सभी रिश्तेदारों ने डीएनए सैंपल नहीं दिए हैं.
पिछली रात सिविल अस्पताल अहमदाबाद के पोस्टमार्टम रूम में कई शवों को फर्श पर देखा, जिन्हें बाद में शवगृह में शिफ्ट किया गया.
मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, मीडिया ने बी.जे. मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर और डीन मीनाक्षी पारिख से कोल्ड स्टोरेज की कमी को लेकर सवाल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
सभी शवों को शवगृह में शिफ्ट किया गया। हमने इस क्षेत्र की सफाई की, लेकिन मृत शरीरों की बदबू अब भी बनी हुई है,” पोस्टमार्टम रूम के एक मेडिकल स्टाफ ने बताया.पोस्टमार्टम कॉम्प्लेक्स की पीली इमारत को बंद कर दिया गया है और वहां कोई अंदर न जाए, इसके लिए एक सुरक्षा गार्ड तैनात है.
वहीं डीएनए रिपोर्ट्स 15 जून तक आ जानी चाहिए। तभी पीड़ितों के शवों का उनके परिजनों से मिलान किया जा सकेगा.“लेकिन सभी शव बुरी तरह से जल चुके हैं. डॉक्टर उनकी पहचान भी नहीं कर पा रहे,” डीएनए सैंपलिंग टीम में शामिल एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा. उन्होंने कहा कि शवों की स्थिति को देखते हुए सैंपल लेना भी आसान काम नहीं था बी.जे. मेडिकल कॉलेज में पीड़ितों के परिजनों से सैंपल लेने की प्रक्रिया जारी है. वहां करीब 30 लैब तकनीशियन की टीम पांच डेस्क संभाल रही है.